” अपमान करने वालो के लिए प्रार्थना और शाप देने वालों के लिए आशीष कहें”
क्या ये अनोखी बात नहीं हैं, कि जो हमारा अपमान करें, हम उसके लिए प्रार्थना करें और जो हमें शाप दे हम उन्हें आशीष के शब्द कहें? क्या ये सरल बात हैं? परन्तु हमारे स्वर्गीय पिता हमें सिखाते हैं, कि जो हमारा अपमान करें और जो हमें अत्यधिक सताए हम उनका विशेषकर नाम लेके प्रार्थना करें, और जो हमें शाप दे हमें उनको शाप नहीं, बल्कि हम अपने मन में उन्हें आशीष के कुछ शब्द कहें। यह करना आसान तो नहीं होगा, परंतु यह अपने जीवन में लागु करना बहुत ही मुश्किल हैं, परन्तु जब हमें ऐसा करने लग जाते हैं तो हम अपने स्वर्गीय पिता कि संतान बन जाते हैं। जब हम अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करना सिख जाते हैं और जो हमें शाप देते हैं उनको आशीष के कुछ शब्द कहना सिख जाते हैं तो हमारी आधे से ज़्यदा परेशानी ऐसे ही हल हो जाती हैं। अतः हम सताने वालों के लिए प्रार्थना करना और शाप देने वालों के लिए आशीष कहना सीखें और अपने स्वर्गीय पिता कि संतान बनना शुरू करें।
शुभप्रभात धन्यवाद